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समलैंगिक विवाह जानिए क्या है

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार कर दिया है ,कोर्ट ने कहा कि समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया गया है आगे कहा की समलैंगिक जोड़े कानूनी तौर पर एक साथ रह सकते हैं लेकिन उनके विवाह को अभी तक कानूनी मंजूरी नहीं मिली है।

समलैंगिक विवाह को कोर्ट ने मंजूरी क्यों नहीं दी

समलैंगिक विवाह को मान्यता न मिलने के कई कानूनी बंधन है भारतीय संविधान के तहत विवाह के लिए दो अधिनियम बनाए गए हैं

पहला -सभी धर्म के विवाह के लिए पर्सनल लॉ

दूसरा -विशेष विवाह अधिनियम 1954

इस कानून के तहत सेक्शन 4(c) पुरुष वह महिला के विवाह को मान्यता दी गई है।

जैसे हिंदू मैरिज एक्ट 1955 मुस्लिम मैरिज एक्ट 1935 इसके अलावा भी कई अंतरधर्म व अंतरजातीय विवाह करने के लिए विशेष विवाह अधिनियम 1954 बनाया गया है।

इस अधिनियम की धारा 4 के तहत दो व्यक्तियों के बीच विवाह की अनुमति दी गई है जिसके तहत पुरुष व महिला को विवाह का अधिकार है ना कि समलैंगिक जोड़ों को।

समाधान

समलैंगिक जोड़ों को भी गैर समलैंगिक जोड़े जैसा विवाह के समान अधिकार के लिए विशेष विवाह अधिनियम 1954 में संशोधन आवश्यक है ,हमें एकजुट होकर एक ऐसे समाज का निर्माण करना होगा जो हर किसी को सामान बराबरी का अधिकार दिला सके, समलैंगिक जोड़ों को भी गैरसमलैंगिक जोड़े जैसा अपना जीवनसाथी चुनने का व विवाह का अधिकार सुनिश्चित हो सके।


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