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चुनावी बॉन्ड

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की चुनावी बांड योजना यानी ( इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम )को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है, इसकी सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व पीठ शामिल है।

चुनावी बांड क्या है

यह राजनीतिक दलों को दी जाने वाली दान राशि है जो दानदाता और प्राप्तकर्ताओं की पहचान को गुमनाम रखती है, यह प्रणाली वर्ष 2017 में एक वित्त विधेयक के माध्यम से पेश की गई और 2018 में लागू की गई|

चुनावी बांड के फायदे

राजनीतिक दलों की फंडिंग में पारदर्शिता हेतु इसका प्रयोग किया जाता है ,जिसमें की दानदाता के गुमनामी का संरक्षण होता है साथ ही दान उपयोग का खुलासा करने में जवाब देही भी होता है चुनावी बांड नकद लेन-देन को हतोत्साहित करता है।

चुनावी बांड की आलोचना

चुनावी बांड दान करने वाले योगदानकर्ताओं का नाम गुप्त रखता है जिससे कि मतदाताओं के जानने का अधिकार प्रभावित होता है अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को पूर्ण रूप से छीन लेता है।इसकी मुख्य आलोचना यह भी है कि इसमें दान की कोई लिमिट नहीं है जिससे कि राजनीतिक फंडिंग में काले धन का इस्तेमाल जाहिर होता है।

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